ऐसी धारणा होती है कि तथाकथित तेज-तर्रार अभ्यर्थी ही इस परीक्षा को पास कर सकते हैं, जो कि आ रहे परिणामों में गलत साबित होती रही है। इस परीक्षा में ज्ञान के साथ रणनीति का कितना महत्त्व है। इस पर विस्तार से चर्चा के लिए हमारे साथ हैं संस्कृति IAS के मैनेजिंग डायरेक्टर श्री अखिलमूर्ति सर, जो सिविल सेवा के अध्यापन क्षेत्र में दो दशकों से अधिक समय से जुड़े हैं। सर के इस लंबे अनुभव से सीखने का प्रयास करेंगे कि परीक्षा पास करने की क्या कसौटियां हैं।
सर से पहला प्रश्न था कि बताइए तैयारी की शुरुआत करने वाले अभ्यर्थी का क्या स्तर होना चाहिए। सर ने सहजता से जबाव देते हुए कहा कि सर्वप्रथम जो आयोग की अर्हताएं हैं अभ्यर्थी उसे पूरा कर रहा हो साथ उसमें अधिकारी बनाने का जज्बा हो, परीक्षा पास करने का आत्मविश्वास हो, निरंतर परिश्रम करने का साहस हो, धैर्य हो। बाकी ज्ञान तो तैयारी के दौरान विकसित हो जाएगा।
प्रश्नों की श्रृंखला में सर से पूछा कि कमजोर अभ्यर्थी अपनी तैयारी में किन बातों का ध्यान रखें-
- अभ्यर्थी में चयनित होने का जज्बा, अध्ययन का जूनून, परीक्षा उत्तीर्ण करने का स्वयं में आत्म विश्वास होना चाहिए।
- पढ़ने के क्रम में अभ्यास को प्राथमिकता दें चूँकि ‘अभ्यास’ व्यक्ति को परिपक्व बना देता है। UPSC के लिहाज़ से अभ्यास अभ्यर्थी के लिए बहुत आवश्यक है। जिसकी छाप सफलता पर पड़ती है। जैसा कि रहीम ने भी कहा है-
“करत-करत अभ्यास ते जड़मति होत सुजान ।
रसरी आवत-जात ते सिल पर परत निशान ॥”
अर्थात कठोर पत्थर पर रस्सी की बारम्बार रगड़ निशान डाल देती है, उसी प्रकार कमजोर अभ्यर्थी निरंतर अभ्यास से बुद्धिमान हो जाते हैं।
- स्वयं की गलतियों से एवं दूसरों के अनुभवों से सीखने की प्रवृत्ति होनी चाहिए।
- आशावादी होना चाहिए, भरोसा हो कि परीक्षा अवश्य उत्तीर्ण होगी भले ही समय थोड़ा अधिक लग जाए।
- सफलता से दूरी कम हो जाती हैं, जिन भी अभ्यर्थियों में सृजनात्मकता, सकारात्मकता, निरंतरता एवं नया सीखने की जिज्ञासा जैसे मूल्य होते हैं।
- सर ने UPSC की रणनीति की तुलना कछुए एवं खगोश की कहानी से करते हुए अपनी चर्चा समाप्त की। सर का इस कहानी से तुलना का आशय यह था कि लक्ष्य केन्द्रित होकर अभ्यास में निरंतरता बनाए रहें निश्चित ही सफल होंगे।
